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Javed Akhtar

जावेद अख्तर खां : 17.07.1958 (गोरखपुर)

एम. ए. (हिन्दी, स्वर्णपदक प्राप्त), पी-एच. डी. (पटना विश्वविद्यालय)

पी-एच. डी. का विषय: “हिन्दी नाटक और रंगमंच में लोकनाट्य-प्रयोग”

विगत पैंतीस वर्षों से साहित्य और रंगमंच दोनों क्षेत्रों में सक्रिय. हिन्दी अध्यापन का पच्चीस वर्षों का अनुभव. आलोचना, नटरंग, कसौटी, नेपथ्य, समीक्षा, उत्तरशती आदि में दर्जनों लेख प्रकाशित. विभिन्न समाचार-पत्रों में नियमित लेखन. अभिनेता के तौर पर हिन्दी रंगमंच में ख़ास पहचान. पचास से भी अधिक नाटकों में केन्द्रीय भूमिकाएँ अभिनीत. अनेक राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय नाट्य-महोत्सवों में शिरकत.

प्रमुख अभिनीत नाटक: हानूश, अंधा युग, महाभोज, माधवी, कबिरा खड़ा बजार में, कोर्ट मार्शल, साला मैं तो साहब बन गया, बुलंद दरवाज़ा(‘राशोमन’ फिल्म पर आधारित), एवम् इन्द्रजित, सत्यहरिश्चंद्र, तुगलक़, रक्तकल्याण, दूर देश की कथा, न्यायप्रिय, स्पार्टाकस, अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल(दारियो फ़ो के नाटक ‘आर्केंजल्स डोंट प्ले पिनबॉल’ पर आधारित), कोठरी नं. 42, बाघिन मेरी साथिन, त्रास, गिनीपिग, कालिगुला, अंधेर नगरी आदि. एकल अभिनय में भी विशिष्ट पहचान.

कुछ नाट्य-प्रस्तुतियों का निर्देशन:- जैसे- राम की शक्ति-पूजा, अँधेर नगरी, जनता पागल हो गई है, रोशनी, लड़ाई आदि. पहला मौलिक नाटक “दूर देश की कथा” पूरे देश में मंचित एवं चर्चित. “बिवेयर ऑफ़ डॉग” नाटक का लेखन. प्रेमचंद, भीष्म साहनी, चेखव, लू-शुन की काहनियों का मंचीय रूपांतरण. दिल्ली विश्वविद्यालय में ‘रंगमंच और नाटक के सन्दर्भ में हिन्दी साहित्येतिहास-लेखन की समस्याएँ’ पर व्याख्यान-माला. वाणी प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा पहली आलोचनात्मक पुस्तक प्रकाशित “हिंदी रंगमंच की लोकधारा”. वर्तमान में: अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, टी. पी. एस. कॉलेज, पटना.