मोना झा:
जन्म: 10 अगस्त, 1970 (मधुबनी, बिहार). वर्तमान निवास पटना
मोना झा ने अपनी कला-यात्रा ‘कथक’ नृत्य से आरम्भ किया. इप्टा, पटना से अपने सक्रिय जुड़ाव के दौरान उसकी महत्वपूर्ण नाट्य-प्रस्तुतियों में केन्द्रीय भूमिकाएँ अभिनीत की हैं. प्रेरणा, प्राची, थिएटर यूनिट-जैसी नाट्यसंस्थाओं से भी इन्होंने कई प्रस्तुतियों में अभिनय किया है. “नटमंडप” की संस्थापक-सदस्यों में से एक मोना झा वर्तमान में इस संस्था की संयुक्त सचिव हैं. एकल अभिनय में मोना झा की एक राष्ट्रीय पहचान है. ‘नटमंडप’ के मचान-कार्यक्रम में इन्होंने बच्चों को नृत्य-प्रशिक्षण दिया है. कई नाट्य कार्यशालाओं की ये संचालिका रही हैं. अपने नाट्य दल के साथ इन्होंने कई राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय नाट्य महोत्सवों में भाग लिया है.
मोना झा अभिनीत चर्चित नाट्य प्रस्तुतियाँ ;—
महाभोज, दूर देश की कथा, कबिरा खड़ा बजार में, अँधा युग, सौदागर, बुलंद दरवाज़ा (‘राशोमन’ फ़िल्म पर आधारित), भारत-दुर्दशा, मंगनी बन गए करोड़पति, अकेली औरत, साग-मीट, एम. एफ़. हुसैन की आत्मकथा, अब मैं नाच्यो बहुत गोपाल (दारियो फ़ो के नाटक ‘अर्केंजल्स डोंट प्ले पिनबॉल’ पर आधारित), साला मैं तो साहब बन गया, रक्तकल्याण, अरण्य कथा, चेख़व कथा-संसार, बिवेयर ऑफ़ डॉग, अक्करमाशी, न्यायप्रिय, अर्थ दोष आदि. नाट्य दल के साथ पूरे देश में भ्रमण.
स्त्री अधिकारों के लिए विभिन्न मंचों पर सक्रिय मोना झा इन दिनों स्त्री-स्वास्थ्य सम्बन्धी एक परियोजना से सम्बद्ध हैं.
मोना झा बिहार सरकार द्वारा 2015 में कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान एवं विशिष्ट उपलब्धियों के लिए "भिखारी ठाकुर वरिष्ठ पुरस्कार (रंगमंच)" से सम्मानित किया गया !
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